मुम्बई।शिव लिंगी बीज का कभी भी अंगूठी या माला बनाकर नहीं पहनना चाहिए।क्योंकि शिवलिंगी बीजों में पारा की मात्रा होती हैं । वैज्ञानिक खोज भी हैं।न ही किसी प्रकार का मूर्ति का निर्माण ना करे। ऐसा करने से घर में लड़ाई झगड़े ,मानसिक तनाव ,घर में पैसों की बर्बादी ओर अकाल मौतें तक होती हैं।शिव लिंगी बीज सिर्फ दवा के रूप में सेवन करे, बहुत ही लाभदायक हैं।
अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेदाचार्य ओर अध्यात्मिके गुरु डॉ प्रकाश टाटा ने शिव लिंगी बीज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी और बताया कि आयुर्वेद में शिवलिंगी बीज का बहुत बड़ा अलग स्थान हैं । शिवलिंग बीज का अलग अलग बीमारी में काम में आने वाली महत्वपूर्ण ओषधि हैं । स्वाँस,खाँसी, लिवर, किडनी, माहवारी ठीक से ना आना,पेट में गाँठें आना ,सिर दर्द ओर जिनके बच्चे नहीं होते उनके लिये अनमोल ओषधि हैं ।
अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेदाचार्य ओर अध्यात्मिके गुरु डॉ प्रकाश टाटा ने औषधि के निर्माण और सेवन की जानकारी भी दी-
(१) ५० ग्राम शिवलिंगी बीज को पीसकर पावडर बनायें, जिन महिलाओं को ठीक से माहवारी नहीं जाती तो उन्हें सुबह खाली पेट पानी से आधा चम्मच पावडर २१ दिन लगातार खायें एक दम ठीक होगा ।
(२) जिन महिलाओं को गर्भ नहीं रुकता हैं तो उन्हें ९० दिन तक आधा चम्मच पावडर सुबह खाली पेट पानी से खायें । उन्हें १००% सफलता मिलती है ।
(३) जिनको को सिर दर्द, खाँसी, स्वाँस, लिवर, किडनी,पेट में गाँठे की समस्या हैं तो उन्हें दो -दो चुटकी सुबह - शाम शहद से ४५ दिनों तक भोजन के बाद खायें । जिनकी आयु १५ से ३० वर्ष तक हैं , उन्हें दो -दो चुटकी लेने हैं ओर जिनकी आयु ३० से ऊपर वालों को तीन - तीन चुटकी खायें आराम १००% मिल जायेगा ।