सहरिया देख लोक संगोष्ठी-सहरिया जनजाति के लोग अपनी दैवीय मान्यताओं के आचरण से पर्यावरण का संरक्षण करते चले आ रहे-कुलपति डॉ तिवारी

ग्वालियर।जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, जनजातीय संग्रहालय भोपाल द्वारा जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के समन्वय से विश्वविद्यालय के  गालब सभागार में आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कुलपति प्रो अविनाश तिवारी ने कहा कि सहरिया जनजाति के लोग अपनी दैवीय मान्यताओं के आचरण से पर्यावरण का संरक्षण करते चले आ रहे हैं। जिसे हम वैज्ञानिक अध्ययन से प्राप्त करते हैं वह सहरियाओं के व्यवहार में उपलब्ध है |
  संगोष्टी में विषय प्रवर्तन करते हुए अकादमी  निदेशक डॉ धर्मेंद्र पारे ने कहा कि यह संगोष्ठी अब तक अछूते रहे देवलोक पर विचार करने के लिए आयोजित की गई है। जनजातीय जीवन व्यक्ति नहीं सृष्टि केन्द्रित है। जनजातियों में धर्म शब्द आचरण में निहित है। प्रथम अकादमिक सत्र के अध्यक्ष डॉ मुकेश मिश्र ने कहा कि जनजातियां कोई मिन्न नहीं है। सब सनातन सूत्र में बद्ध हैं। प्रमुख वक्त्ता पूर्व प्राचार्य डॉ. पवार के सहित श्री रामकुमार वर्मा, मिलाई, श्री खेमराज आर्य, श्योपुर, डॉ. परवीन वर्मा, श्योपुर, डॉ. योग्यता भार्गव अशोकनगर, डॉ. संगीता सिंह, श्योपुर ने भी अपने आलेख प्रस्तुत किए। 
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. रुचि घोष दस्तीदार, संकाय अध्यक्ष बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल ने की। इस सत्र में डॉ. करण सिंह,  शिवपुरी, डॉ. वारिश जैन विदिशा, श्री गौरीशंका गुप्ता, अशोकनगर, श्री लालजीराम मीणा विदिशा, श्री देवेश शर्मा मुरैना और इतिशा दांगी, ग्वालियर ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किये। संचालनमा पूजा सक्जेना और नीलिमा गुर्जर ने किया।