आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 234एच के तहत शुल्क निर्धारित करने के लिए आयकर नियम, 1962 के प्रावधानों में संशोधन

दिल्ली(मनीष नायक)।आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत  प्रत्येक व्यक्ति जिसे 1 जुलाई2017 तक पैन’ आवंटित किया गया है और जो आधार नंबर प्राप्त करने का पात्र है उसके लिए 31 मार्च2022 को या उससे पहले निर्धारित प्राधिकारी या प्राधिकरण को अपने आधार नंबर के बारे में सूचित करना आवश्यक है। ऐसा करने में विफल रहने पर उस व्‍यक्ति के पैन को निष्क्रिय कर दिया जाएगा और ऐसी सभी प्रक्रियाएं जिनमें पैन की आवश्यकता होती हैउन पर रोक लगा दी जाएगी। पैन को फिर से तभी चालू किया जा सकता है जब उस व्‍यक्ति द्वारा निर्धारित शुल्क के भुगतान के बाद निर्धारित प्राधिकरण को आधार नंबर के बारे में सूचि‍त कर दिया जाएगा।

करदाताओं की असुविधा को कम करने के लिए अधिसूचना संख्या 17/2022 दिनांक 29 मार्च2022 के अनुसार  करदाताओं को 31 मार्च2023 तक निर्धारित प्राधिकारी को अपने आधार नंबर के बारे में सूचित करने का अवसर प्रदान किया गया है,  ताकि स्‍वयं पर बिना कोई व्‍यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़े ही वे आधार नंबर और पैन को आपस में लिंक करा सकें। इसके परिणामस्‍वरूप करदाताओं को अपने आधार नंबर के बारे में निर्धारित प्राधिकारी को सूचि‍त करते समय बतौर शुल्क 1 अप्रैल2022 से तीन महीने तक 500 रुपये और उसके बाद 1000 रुपये देने होंगे।

हालांकि31 मार्च 2023 तक उन करदाताओंजिन्होंने अपने आधार नंबर के बारे में निर्धारित प्राधिकारी को सूचित नहीं किया हैका पैन इस अधिनियम के तहत आवश्‍यक समस्‍त प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए इस्‍तेमाल में लाया जा सकेगा। अपनी आय से संबंधित टैक्‍स रिटर्न भरनारिफंड की प्रोसेसिंगइत्‍यादि इन प्रक्रियाओं में शामिल हैं। इस संबंध में एक विस्तृत परिपत्र (सर्कुलर) संख्या 7/2022 दिनांक 30.03.2022 भी जारी किया गया है।

31 मार्च2023 के बाद उन करदाताओं का पैन निष्क्रिय हो जाएगाजो पहले से ही तय आवश्यकता के अनुसार अपने आधार नंबर के बारे में निर्धारित प्राधिकारी को सूचित करने में विफल रहते हैंऔर इसके साथ ही अपने आधार नंबर को प्रस्तुत नहीं करनेसूचित नहीं करने या उद्धृत नहीं करने के कारण इस अधिनियम के तहत निर्धारित समस्‍त सख्‍ती इस तरह के करदाताओं पर लागू होंगी।