जेयू: छात्रों का दल शैक्षणिक भ्रमण पर रवाना,भ्रमण के दौरान जानेंगे इतिहास की बारीकियां

ग्वालियर। भ्रमण सीखने की सर्वश्रेष्ठ विधि है।शैक्षिक भ्रमण के द्वारा शिक्षार्थी ज्ञान की बारीकियों को जानता है। इतिहास गवाह है कि देशाटन हर मनुष्य के स्वभाव में है। अतः प्राचीनकाल में परिवहन के अल्प साधनों के बावजूद भी लोग भ्रमण करना पसन्द करते थे।इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में इसको विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है। विद्यार्थी किताबी ज्ञान द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं कर सकता है। जो ज्ञान साक्षात् देखकर प्राप्त किया जा सकता है वह किताबों को पढ़कर नहीं।शैक्षणिक भ्रमण के सहारे इतिहास हमें वास्तविक दिखता है तथा समूचा भूगोल साकार हो उठता है। इससे अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों की परीक्षा हो जाती है और नई चुनौतियां उभर आती है। समाजशास्त्र की नींव मजबूत हो जाती है। ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों के भ्रमण से पुस्तकों में पढ़ी धुंधली छवि प्रकाशित होकर साकार हो जाती है।प्रतिभावान छात्रा छात्राओं को ऐतिहासिक महत्व से रूबरू कराने के उद्देश्य से जेयू  इतिहास विभाग का शैक्षणिक भ्रमण दल खजुराहो रवाना हुआ।छात्र- छात्राओं के दल को जेयू के कुलपति प्रो.अविनाश तिवारी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना कर उनका उत्साहवर्धन किया।छात्रा छात्राओं ने खजुराहो का भ्रमण कर प्राचीन मूर्तियों के इतिहास के बारे में जानकारी ली। छात्र छात्राओं को मार्गदर्शक शिक्षकों ने जानकारी देते हुए बताया कि खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच हुआ है। इन मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण इतनी बेहतरी से किया गया है कि इसे देखने के बाद लोग इन मूर्तियों की खूबसूरती में खो जाते हैं। ये मूर्तियां प्राचीन सभ्यता की विशेषता बताने के लिए काफी हैं। छात्र भ्रमण के बाद विस्तृत रिपोर्ट विभाग में प्रस्तुत करेंगे।इस मौके पर छात्रों के साथ विभागाध्यक्ष प्रो.एके सिंह, डॉ.जयंती शर्मा,राकेश कुमार, रचना, आकाश शर्मा,पूर्णिमा यादव, विशाल, वीरेंद्र शर्मा उपस्थित रहे।