दिवाली के पटाखों से जलने वालों के लिए तथ्यात्मक वैज्ञानिक तमाचा





दिवाली भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे हर वर्ष पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पटाखों का प्रयोग दिवाली की रौनक को बढ़ाने का एक अहम हिस्सा माना जाता है। हालाँकि, दिवाली पर पटाखों के उपयोग को लेकर प्रदूषण के मुद्दे पर कई बार प्रश्न उठते हैं। लेकिन यह समझना जरूरी है कि प्रदूषण को बढ़ाने में केवल पटाखे ही मुख्य कारक नहीं बल्कि कई अन्य कारक भी हैं। इस निबंध में हम वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर प्रदूषण के अन्य कारणों पर विचार करेंगे और समझेंगे कि कैसे पटाखों को प्रदूषण के लिए एकमात्र जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।

प्रदूषण के अन्य प्रमुख कारण:

 1. वाहनों से उत्पन्न प्रदूषण:
शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण का मुख्य स्रोत वाहनों का धुआं होता है। वाहनों में इस्तेमाल होने वाले ईंधनों के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो वायु की गुणवत्ता को बिगाड़ती हैं। खासतौर से बड़े शहरों में वाहनों की अधिकता के कारण हर रोज प्रदूषण में वृद्धि होती है।
 2. औद्योगिक कचरा और धुआं:
कारखानों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। उद्योगों में जलने वाले कोयला, गैस और अन्य ईंधन से निकली गैसें वायु प्रदूषण में भारी योगदान देती हैं। इसके अलावा, कई उद्योगों से विषाक्त रासायनिक कचरा निकलता है, जो जल स्रोतों को दूषित करता है।
 3. निर्माण कार्य से उत्पन्न धूल और गंदगी:
तेजी से हो रहे निर्माण कार्य भी वायु प्रदूषण में योगदान देते हैं। भवन निर्माण, सड़क निर्माण, और अन्य निर्माण कार्यों में भारी मात्रा में धूल और मिट्टी हवा में मिलती है, जो वायुमंडल में तैरती रहती है और वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। दिवाली के समय भी ठंड और मौसम की स्थिरता के कारण धूल के कण वायुमंडल में लंबे समय तक टिके रहते हैं।
 4. फसलों के अवशेष जलाना:
कृषि के बाद बचे हुए फसलों के अवशेषों को जलाना, विशेषकर उत्तर भारत में, वायु प्रदूषण में बड़ी भूमिका निभाता है। फसल अवशेष जलाने से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और अन्य हानिकारक पदार्थ निकलते हैं। इससे हवा की गुणवत्ता काफी खराब होती है, जो दिवाली के आसपास के समय को भी प्रभावित करता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
दिवाली के पटाखों से होने वाला असर बहुत ही सीमित समय के लिए होता है और यह केवल कुछ पल तक प्रभावी रहता है। यह सही है कि पटाखों के जलने से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 और पीएम10) जैसे प्रदूषक उत्पन्न होते हैं, लेकिन इनका प्रभाव स्थायी नहीं होता। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सिद्ध हो चुका है कि गाड़ियों, उद्योगों और निर्माण कार्यों से प्रतिदिन निकलने वाले प्रदूषकों के सामने पटाखों का योगदान बहुत कम है।

इसके अलावा, मौसम संबंधी कारक जैसे हवा की दिशा और गति भी प्रदूषण के स्तर को प्रभावित करते हैं। दिवाली के समय ठंड के कारण वातावरण स्थिर रहता है, जिससे प्रदूषक वायुमंडल में नीचे की ओर रह जाते हैं और प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ दिखाई देता है। पटाखों के प्रदूषण का स्तर मौसम के अनुसार कम या ज्यादा दिखाई दे सकता है, परंतु यह दीर्घकालिक समस्या नहीं बनता है।

वैज्ञानिक कारण:

दिवाली पर प्रदूषण के विभिन्न कारणों को समझने के लिए वैज्ञानिक तथ्यों का विश्लेषण करना आवश्यक है। दिवाली के समय वायु प्रदूषण का स्तर अन्य कारकों के साथ मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों से भी प्रभावित होता है। आइए प्रदूषण के वैज्ञानिक कारणों और उनके निदान को विस्तार से जानें:

 1. स्थिर वातावरण (स्टेबल एटमॉस्फेरिक कंडीशन):
दिवाली के समय तापमान में गिरावट और हवा की गति में कमी के कारण वातावरण स्थिर रहता है। इसे “टेम्परेचर इन्वर्शन” कहते हैं, जहां ठंडी हवा नीचे और गर्म हवा ऊपर होती है, जिससे प्रदूषक कण ऊपर नहीं उठ पाते। इससे प्रदूषक नीचे की परत में ही ठहर जाते हैं और वायु गुणवत्ता खराब हो जाती है।
 2. नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन:
वाहन के धुए और फसल के जलने से नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड निकलते हैं, जो हवा में घुलकर अम्लीय वर्षा का कारण बन सकते हैं। यह रसायन सांस लेने में कठिनाई, एलर्जी और अस्थमा जैसी बीमारियों को बढ़ाते हैं।
 3. फसल अवशेष जलाने से पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10) का उत्सर्जन:
फसलों के अवशेष जलाने से हवा में PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कण बढ़ जाते हैं, जो फेफड़ों में जाकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। दिवाली के समय ये कण वातावरण में पहले से ही उपस्थित होते हैं और पटाखों के प्रदूषण से यह स्थिति और गंभीर हो जाती है।
 4. वाहनों और औद्योगिक प्रदूषण का उच्च स्तर:
वाहन और औद्योगिक क्षेत्र से उत्पन्न प्रदूषण पूरे वर्ष लगातार जारी रहता है। इसके कारण वायु में पहले से ही नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, और अन्य हानिकारक गैसें मौजूद होती हैं, जो दिवाली पर और अधिक बढ़ जाती हैं।

निदान:

 1. ग्रीन पटाखों का उपयोग:
दिवाली पर परंपराओं का पालन करते हुए ग्रीन पटाखों का उपयोग किया जा सकता है। ग्रीन पटाखों में नाइट्रोजन और सल्फर की मात्रा कम होती है, जिससे असर कम होता है।
 2. फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वैकल्पिक उपाय:
किसानों को जागरूक करते हुए फसल अवशेषों को जलाने के बजाय उन्हें खाद में बदलने या मशीनों का उपयोग कर उनके पुन: उपयोग के तरीके बताने चाहिए। सरकार को इसके लिए आर्थिक मदद और उपकरण प्रदान करने चाहिए, जिससे किसान आसानी से अवशेषों का प्रबंधन कर सकें।
 3. वाहनों और उद्योगों से उत्सर्जन को नियंत्रित करना:
वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करना, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाना और वाहनों के नियमित उत्सर्जन परीक्षण को अनिवार्य करना चाहिए। इसके अलावा, औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कारखानों में उन्नत फिल्ट्रेशन तकनीकें लगानी चाहिए, जो हानिकारक कणों को वायुमंडल में जाने से रोकें।
 4. पेड़ों का अधिक से अधिक रोपण:
पेड़ और पौधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों को अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध बनाते हैं। अधिक से अधिक पेड़ लगाने और हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने से वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है।
 5. जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन:
लोगों को प्रदूषण के कारणों और उनके स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। दिवाली के समय पटाखों के उपयोग में संयम और प्रदूषण के अन्य कारणों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाना बहुत जरूरी है।

प्रदूषण का समाधान केवल दिवाली पर पटाखों को प्रतिबंधित करने से नहीं हो सकता। इसके लिए सभी स्रोतों से उत्पन्न प्रदूषण को नियंत्रित करना होगा। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है ताकि प्रदूषण की समस्या पर स्थायी रूप से नियंत्रण पाया जा सके और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित हो सके।

पटाखों को प्रदूषण का मुख्य कारण मानना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। वाहनों से उत्पन्न धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्य, और फसल अवशेषों का जलना जैसे कारक प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। पटाखों का प्रयोग बहुत समय के लिए वायु की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं कर सकता है, इस कारण से इसे प्रदूषण का मुख्य कारण ठहराना तर्कसंगत नहीं है। अतः हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सभी कारणों को समझकर उन पर नियंत्रण करना चाहिए, ना कि केवल एक दिन के पटाखों को इसके लिए दोष देना।दिवाली हम भारतीयो का प्रमुख उत्सव है और इसको खूब उल्लास से मनाना चाहिए। मुझे लगता है आग पटाखे में लगाई जाती है और जलता कोई और है और धुआँ कही और से निकलता है।दिवाली मुबारक।हाजी शीराज़ क़ुरैशी अधिवक्ता का व्यक्तिगत विचार है!