षडयंत्र के आगे असहाय हुआ इजरायल

आतंकी संगठन 'हमास' के साथ इजराइल का समझौता हो चुका है। अमेरिका जैसे हथियारों के सौदागरों की चालें कामयाब हो गई हैं। आतंकियों को हथियारों की अवैध सप्लाई करके बेतहाशा पैसे कमाने वाले देशो में केवल अमेरिका की भागीदारी 40 प्रतिशत है। इस देश की लाकहीड मार्टिन, बोइंग और रेथियान कम्पनियां प्रमुख है जो वैध-अवैध ढंग से दुनिया भर में हथियारों की बिक्री कर रहीं है। रूस की रोसोबो रोनेक्स पोर्ट, अल्माज-एंटी और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग शस्त्र निर्माता कम्पनियों की बिक्री में विगत 5 वर्षों में कमी आई है जबकि फ्रांस की डसाल्ट एविएशन, एयरबस और थेल्स कम्पनियां हथियारों की सप्लाई चेन बढाने में जुटी हैं। इन्होंने अपनी उत्पादन क्षमता में 44 प्रतिशत तक इजाफा कर लिया है। चीन की सरकारी स्वामित्व वाली चाइना नार्थ इंडस्ट्रीज कारपोरेशन और चाइना एयरोस्पेस साइंस एण्ड टेक्नोलाजी कारपोरेशन प्रमुखता से शस्त्रों की बिक्री बढाने में जुटी हैं। विश्व का पांचवा सबसे बडा हथियार निर्यातक देश जर्मनी है जहां की राइनमेटाल, एयरबस और कास-माफी वेगमैन प्रमुख शस्त्र निर्माता कम्पनियां हैं। इटली की लियोनार्डो, फिनकैंटिएरी और ओटो मेलारा जैसी कम्पनियां जमकर हथियार तैयार कर रहीं हैं।  इन्होंने 45 प्रतिशत तक शस्त्र निर्माण में बढोत्तरी की है। यूनाइटेड किंगडम की बीएई सिस्टम्स, रोल्स-रायल तथा एमबीडीए जैसी कम्पनियां संसार भर में हथियारों के जखीरे बेच रहीं हैं। स्पेन की नवंतिया, इंद्रा सिस्तेमास और सांता बारबरा सिस्तेमास फर्म निरंतर अपने हथियारों के उत्पादन में बढोत्तरी कर रहीं हैं। दक्षिण कोरिया की कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज, हुडई रोटेम और हानवा डिफेन्स कम्पनियों ने विगत एक दशक में अपनी क्षमता में 74 प्रतिशत की वृध्दि की है। यूं तो इजरायल भी एक शस्त्र निर्यात देश है परन्तु उसे चारों ओर से आतंकी संगठनों ने घेर रखा है। विगत 15 महीनों मेें इजरायल को ईरान, लेबनान, सीरिया, ईराक और यमन की कट्टरपंथियों की सरकारों से संरक्षित आतंकी संगठनों ने 'हमास' के पक्ष में निशाना बनाया है। अतीत गवाह है कि 7 अक्टूबर 2023 को आतंकी संगठन 'हमास' ने दक्षिणी इजरायल पर हमला करके 1200 बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतार दिया तथा 252 लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले आया। तब से निरंतर हमास-इजरायल के मध्य युध्द जारी रहा। जान जोखिम में डालकर भी वहां के निवासियों ने 'हमास' के आतंकियों, उनके ठिकानों तथा उनकी उपस्थिति को सुरक्षा कवच दिया। कट्टरता के रंग में रंगे गाजावासियों ने जान की कीमत पर भी आतंकियों की हिफाजत की। इसी मध्य अमेरिका ने अपनी दोगली चालों से हथियारों के जखीरों का जमकर व्यापार किया। कट्टरपंथियों को आतंकवादी बनाकर दुनिया को गुलाम बनाने के मंसूबे पालने वाले देशों ने इजरायल पर राजनैतिक, कूटनैतिक और मानवता की दुहाई वाला षडयंत्र किया और हथियारों के सौदागरों की जुबान पर अपने शब्द रख दिये। संयुक्त राष्ट्र संघ की घातक भूमिका ने भी इजरायल को ही दोषी माना और उस पर नकेल कसने की कोशिशें कीं। समझौते के संदर्भ में कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी के अनुसार इजराइल अपनी जेलों में बंद 735 कैदियों को आजाद करेगा। इजरायल के अनुसार यह सभी कैदी खतरनाक आतंकी हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। इन कैदियों में अल अक्सा ब्रिगेड का पूर्व कमान्डर जकारिया जुबेइदी, महमूद अताल्लाह जैसे खूंखार कट्टरपंथी भी शामिल है। 'हमास' के कट्टरपंथियों ने 2 साल के बच्चे के बदले में 30 आतंकी और एक मां सहित उसके बच्चों के बदले में 100 आतंकी छोडने का दबाव बनाया है। मानवता की दुहाई पर 'हमास' का साथ देने वाले राष्ट्रों को निरीह, लाचार और प्रताडना झेलने वालों बंधकों की चिन्ता नहीं है। उन्हें केवल और केवल 'हमास' के पुनर्जीवन की फिक्र है। मदरसों, अस्पतालों, अनाथालयों, संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालयों, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालयों जैसे संवेदनशील स्थलों के नीचे आतंकियों के अड्डों, सुरंगों के जाल और विस्फोटकों के गोदामों की श्रंखला बनाने में मदद करने वाले अपने सामने ही अपने व्दारा पोषित संगठन को नस्तनाबूत होते नहीं देख सके और दुनिया भर में मानवता के नाम और बंधकों की जान को हथियार बनाकर इजरायल को हाथ उठाने के लिए मजबूर कर दिया। अमेरिका की विश्वासघाती नीतियों, शोषण के सिध्दान्तों और दोगली जुबानी का लम्बा इतिहास रहा है। उसने हमेशा ही मित्र बनकर शत्रु की भूमिका का निर्वहन किया है। यही हाल चीन का भी रहा है। उसकी विस्तारवादी इच्छायें अनन्त की सीमाओं तक बढ चुकीं है। ऐसे में 'हमास' के साथ इजरायल का समझौता, विश्व के लिए नये युध्द का शंखनाद करता दिख रहा है। हथियारों की दम पर गजवा-ए-दुनिया का ख्वाब देखने वाले कट्टरपंथियों की निरंतर बढ रही जमातें अब आने वाले समय में अपने खूंखार कृत्यों से मानवता को कुचलने के लिए और अधिक जोश के साथ सामने आयेंगीं। कट्टता के षडयंत्र के आगे असहाय हुआ इजरायल अब अपने ही घर में कलह का शिकार हो रहा है। वहां के नागरिकों का एक बडा वर्ग इस समझौते के विरोध में आवाजें उठा रहा। इस पूरे परिदृश्य से दुनिया के गैर मुस्लिम देशों को अभी से अपने सुरक्षा प्रबंधों को मजबूत करना होगा ताकि आतंक को इजरायल पर मिली विजय से उनके निकल चुके पंख अब उनकी ओर उडान न भर सकें। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।