आतंकवाद का दावानल समूची मानव जाति को निगलने के लिए आतुर हो रहा है। पहलगाम में धर्म पूछकर मुस्लिम आतंकियों ने हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया। हथियारों के सौदागरों के व्दारा मुहैया कराये जा रहे आधुनिक शस्त्र, पाकिस्तान में चलाये जा रहे आतंक प्रशिक्षण शिविरों और इस्लाम के नाम पर बनाये जा रहे संगठनों में मुसलमानों को बरगलाकर फिदाइनी बनने का सिलसिला निरंतर तेज होता जा रहा है। गैर मुसलमानों के खिलाफ जेहाद चलाने का फैशन चल निकला है। पहलगाम की घटना से पूरे देश में आक्रोश है। चारों ओर बदले की आवाजें गूंज रहीं हैं। ऐसे में राष्ट्रद्रोहियों का एक गिरोह अपने सीमापर बैठे आकाओं के इशारों पर आतंकियों के सरपरस्तों, संदेहास्पद सहयोगियों और कलुषित मानसिकता वाले लोगों को बचाने के लिए सोशल मीडिया के सहारे नागरिकों को बरगलाने में जुटा है। इस गिरोह के सदस्यों की फौज कश्मीर पहुंच गई है जहां से निरंतर मुसलमानों की सहृदयता, उनका भाईचारा और राष्ट्रभक्ति की भावना का प्रायोजित प्रचार कर रही है। सीमापार के आतंकी अड्डों, उनके आकाओं के ठिकानों और कट्टरपंथियों के मुख्यालयों सहित अन्य संदिग्ध स्थानों को नस्तनाबूद करने के साथ-साथ देश के मीर कासिमों की नस्लों को भी समाप्त करना होगा अन्यथा राष्ट्रद्रोहियों को संरक्षण देने वाली जमात पुनः मुसलमानों को बरगलाकर फिदायिनी बनाने से बाज नहीं आयेंगे। समूची दुनिया में इस्लाम के नाम पर आतंक का डंका बजाने वाले संगठनों को अनेक राष्ट्र से आर्थिक सहायता, अग्नेय शस्त्र और संरक्षण सहित प्रशिक्षण मिल रहा है। अब वक्त आ गया है जब धर्म के नाम पर कत्लेआम करने वाले आतंकी संगठनों से निपटने के लिए अपनाना होगा इजरायल माडल। गाजा में हमास के खिलाफ छेडी गई जंग एक उदाहरण बन गई है जहां पर इजरायली नागरिकों का अपहरण करके दबाव की राजनीति करने वालों के ठिकानों को ही नस्तनाबूत नहीं किया जा रहा है बल्कि उनके मददगारों तक को धूल में मिलाया जा रहा है। आश्चर्य है कि गाजा के आम नागरिकों के सामने उनके मासूम बच्चों, पत्नियों और परिवारजनों की लाशें बिछ रहीं है, दाने-दाने को तरस रहे हैं, आशियाने खण्डहर में तब्दील हो रहे हैं परन्तु वे हमास के विरुध्द एक भी शब्द जुबान पर नहीं ला रहे हैं। इस्लाम के नाम पर अंध विश्वास, जन्नत में 72 हूरों का सपना और काफिरों की मौत से मिलने वाले शबाब की कल्पना के तले जीती जागती जिंदगियों को तबाह करने में जुटे कट्टरपंथियों का एक बडा तबका आईएसआईएस, अबू सय्यफ ग्रुप, अलकायदा, अल शबाब, अंसार अल्लाह, बोको हरम, हमास,हयात तहरीर अल शाम, हिजबुल्लाह, हुर्रास अल दीन, इस्लामिक स्टेट, आईएस, जैस ए मोहम्मद, हूती, हरकत अल मुकाबामा अल इस्लामिया, आईएसएल, अब्दुल्ला अज्जाम ब्रिगेड्स, अबू निदाल, अल अक्सा शहीद ब्रिगेड, अल अश्तर ब्रिगेड, अल गमआ अल इस्लामिया, अंसार अल इस्लाम, अन्सार दीन, अंसारल्लाह, हक्कानी नेटवर्क, हरकत अल सबिरीन, इंडियन मुजाहिद्दीन, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर, जैश अल मुहाजिरिन वाल अंसार, लश्कर ए तैयबा, फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद जैसे हजारों संगठनों को पाल पोसकर निरंतर बडा कर रहा है। गाजा में हमास ने जिस तरह से भूमिगत सुरंगों का जाल फैला रखा है। अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों, मदरसों, यतीमखानों के नीचे अड्डे बना रखे हैं। मानवीयता से जुडी संस्थाओं के भवनों में दफ्तर खोल रखे हैं। यह सब चिन्ता का विषय है जिसे इजरायल व्दारा बहादुरी के साथ बरबाद किया जा रहा है। ऐसी ही कार्यवाही की आवश्यकता देश में भी है। पहलगाम का बदला लेने के लिए सीमापार पाकिस्तान में बनाये गये लांचिंग पैड, ट्रेनिंग कैम्प्स और फंडिंग सेन्टर्स को नस्तनाबूद करने के साथ-साथ आतंकियों के आकाओं, मददगारों और सरपरस्तों को भी तबाह करना होगा। वर्तमान में समूची दुनिया भारत के साथ खडी है। ऐसे में प्रधानमंत्री पद पर नरेन्द्र मोदी जैसा विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व का होना सोने में सुगन्ध का काम कर रहा है। समूचा देश उस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहा है जब पहलगाम में हुए धर्म के नाम पर कत्लेआम का बदला लेने की पहल शुरू होगी। स्वाधीनता के बाद का पल एक बार फिर लौट आया है जब वर्चस्व की जंग मुंह खोले खडी थी। धर्म के नाम पर देश का विभाजन करने वालों की पीढियां आज फिर से मानवता का ढोंग रच रहीं हैं। देश के बाहर और देश के अंदर बैठे राष्ट्रघाती लोगों को चिन्हित करना होगा। देश के विभिन्न दलों, विभिन्न पदों और विभिन्न मजहबों के स्वयंभू ठेकेदारों में भी एक बडा तबका है जो राष्ट्रद्रोही ताकतों को अपने प्रभाव से निरंतर सहायता पहुंचा रहा है। ऐसे लोगों को सीमापार से निरंतर आर्थिक सहयोग मिल रहा है। धनलोलुपों की यह फौज अब चांदी के टुकडों पर अपनी मां का भी सौदा करने को आमादा हैं। ऐसे में पहलगाम की धरती पर यदि लम्बी चली आतंकी वारदात का वहां मौजूद दुकानदारों, घोडावानों, खोमचेवालों, होटलवालों, टैक्सीवालों सहित उपस्थित स्थानीय नागरिकों ने वीडियो नहीं बनाया, फोटो नहीं खींचे, लोगों की पहचान नहीं बताई तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। गाजा में क्या वहां का आम मुसलमान कभी हमास के सदस्य की पहचान बताता है? हिजबुल्लाह के बारे में ईरान का आम नागरिक बताता है क्या? केवल कश्मीर में ही आतंकियों के हजारों की संख्या में मददगार मौजूद हैं। वहां के सरकारी तबके से लेकर सार्वजनिक प्रतिष्ठानों तक में कट्टरपंथियों की जमात ने घुस पैठ बना ली है। देश के राजनैतिक हलकों में वोटबैंक की खातिर भितरघातियों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। सरकार को देश के बाहर और अंदर दौनों जगहों पर एक साथ मोर्चा खोलना पडेगा तभी सफलता का प्रतिशत बढ सकेगा अन्यथा देश में मौजूद मीर कासिमों की फौज फिर से कार्यवाही का सबूत, सेना के शौर्य की प्रमाण पत्र और मनगढन्त आरोपों पर सफाई मांगने से बाज नहीं आयेगी। देश के कोने-कोने में बैठे टुकडे-टुकडे गैंग के मैम्बर्स और स्वयंभू बुद्धिजीवियों के खोल में बैठी बामपंथियों की टुकडियां सफलता पर भी असफलता की कालिख पोतने हेतु बेशर्मी के साथ पुनः सामने आयेंगी। इस बार बस इतनी ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।
डॉ. रवीन्द्र अरजरिया