मुझे कभी कभी राष्ट्र के अंधभक्तों पर तरस आता है. वे पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई न करने वाली अपनी सरकार से लडने के बजाय उस शहीद की पत्नी के खिलाफ लड रहे हैं जो अपने पति की शहादत का इस्तेमाल हिंदू मुसलमान के बीच खाई पैदा करने के खिलाफ है.गनीमत है कि शहीद विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के बयान पर ट्रोलिंग को महिला आयोग ने गलत बताया। आयोग ने कहा कि किसी महिला को उसकी राय या निजी जीवन के आधार पर निशाना बनाना उचित नहीं। हर महिला की गरिमा और सम्मान जरूरी है।
आपको बता दें कि 22अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद हिमांशी नरवाल ने अपील की थी कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों को निशाना न बनाएं। उन्होंने कहा था कि हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों के पीछे पड़ें। हिमांशी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाने लगा।क्योंकि हिमांशी को पछियाने वाले पहलगाम हमले का इस्तेमाल ध्रुवीकरण के लिए करना चाहते हैं.
हिमांशी नरवाल के समर्थन में न प्रधानमंत्री जी आए न गृहमंत्री जी लेकिन महिला आयोग ने हिम्मत दिखाई हिमांशी के समर्थन की.महिला आयोग ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बयान जारी कर कहा है कि शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत के बाद उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल की सोशल मीडिया पर आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। आयोग ने माना कि हिमांशी के बयान से हर कोई सहमत नहीं हो सकता, लेकिन असहमति जताने का तरीका संविधान के दायरे में और सभ्य होना चाह आयोग ने यह भी याद दिलाया कि हिमांशी के पति को धर्म पूछकर गोली मारी गई, जिससे देश में गुस्सा है। लेकिन ऐसे समय में भी किसी महिला को ट्रोल करना उचित नहीं है। इसको लेकर आयोग ने कहा कि हर महिला की गरिमा और सम्मान मूल्यवान है, और ऐसे राष्ट्रीय दुख के समय में भी अभिव्यक्ति का तरीका मर्यादित होना चाहिए।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते मंगलवार 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी। सेना की वर्दी में आए दहशतगर्दों ने पहलगाम की बायसरन घाटी में पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा, परिचय पत्र देखे और गोली मार दी. पिछले एक पखवाडे से देश इस घटना के खिलाफ भारत सरकार की ओर से की जाने वाली कार्रवाई का इंतजार कर रहा है किंतु अंधभक्त हिमांशी के पीछे पडे हैं. अंधभक्त हर उस कोशिश के खिलाफ हैं जो सरका से सवाल करती है. फिर चाहे वो नेहा राठौर हो चाहे हिमांशी नरवाल.
हिमांशी इस देश की समरसता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले असंख्य लोगों की प्रतिनिधि है. उसे सुरक्षा और संरक्षण की जरूरत है. उसका विरोध, उसकी निंदा राष्ट्रद्रोह है. हम सब हिमांशी के साथ हैं. हिमांशी ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. ऐसा बलिदान किसी अंधभक्त ने नहीं किया. अंधभक्तों के आराध्य तो पीडितों से मिलने काश्मीर जाने के बजाय मधुबनी पहुंच गए थे.
@राकेश अचल