बैंक मैनेजर की सतर्कता से बुजुर्ग प्रिंसिपल डिजिटल अरेस्ट में एक करोड़ की ठगी से बची

इंदौर।इंदौर में एक रिटायर्ड महिला प्रिंसिपल को बैंक अधिकारी की सूझबूझ ने डिजीटल अरेस्ट की शिकार होने से बचा लिया। रिटायर्ड प्रिंसिपल को 27 मई को  कॉल आया था जिसमें  खुद को टेलीकॉम रेगुलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया का कर्मचारी बताकर बुजुर्ग की सिम बंद करने की बात कही।घटना की जानकारी के बाद क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया  रविवार को महिला के घर जाकर मामले की जानकारी ली ओर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की।

इंदौर के तुकोगंज इलाके में रहने वाली सेन्ट्रल स्कूल की रिटायर्ड प्रिंसिपल नंदनी चिपलूणकर को उनकी सिम बंद करने के लिए फोन आया।बुजुर्ग नंदनी ने इसका कारण पूछा तो फोन करने वालो ने कॉल कोलाबा स्टेशन ट्रांसफर कर दिया गया।वहा डीसीपी अनंत कुमार आर्या बताकर नंदनी  से बात की ओर डरते हुए उसने जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल से पहचान होने का आरोप लगाया यह भी कहा कि आपके अकांउट से कई ट्रांजैक्शन हुए है। नंदनी से रश्मि शुक्ला नाम से एक कथित महिला अफसर ने बात की ओर बताया कि नरेश गोयल ने खुद यह सब बाते कोर्ट में बताई ।जिसके चलते एफआईआर की जाएगी,अधिकारी ने धमकाते हुए कमरे से बाहर जाने से मना कर दिया।देता हुआ देखने के बाद कथित अधिकारियों ने बुजुर्ग नंदनी बचने के लिए उनके अकांउट में एक करोड़ रुपए ट्रांसफर करने को कहा।डरी हुई बुजुर्ग नंदनी ने अकाउंट में जमा 52 लाख और 50 लाख की एफडी तुड़वा कर रुपए ट्रांसफर करने की बात कही।बाद में जब नंदनी एफडी तुड़वाने एसबीआई बैंक पहुंची तो मैनेजर गीतांजलि गुप्ता ने इतना बड़ा अमाउंट अचानक ट्रांसफर करने की बात ने संदेह हुआ।ऐसे में बाइक मैनेजर ने सर्वर डाउन होने का बहाना बना कर ट्रांजेक्शन को टाल दिया ओर डीसीपी क्राइम राजेश दंडोतिया को जानकारी दी। क्राइम ब्रांच ने पहले तो बुजुर्ग महिला से बात कर उनका मोबाइल स्विच ऑफ करवा दिया।फिर रविवार को एडिशनल डीसीपी राजेश डंडोतिया खुद पीड़िता के घर पहुंचे बात की और एफआईआर दर्ज करवाई।