देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी के प्रति मेरे मन में सम्मान बढकर दिन दो गुना रात चौगुना हो रहा है. मोदी जी ने बिहार जाने के लिए महाबली अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साहब का निमंत्रण ठुकरा कर साबित कर दिया कि उनका सीना सचमुच 56'का है.
मोदीजी को ट्रंप साहब कनाडा में मिल सकते थे लेकिन नहीं मिले. वे जी -7की बैठक बीच में छोड वाशिंगटन चले गए क्योंकि उन्है इजराइल और ईरान युद्ध में कुछ बडा करना था. वाशिंगटन में उन्हें मोदी जी की याद आई और उन्होने मोदी जी को फोन कर वाशिंगटन आने का न्यौत दे दिया. जिसे मोदी जी ने सिरे से ठुकरा दिया क्योंकि उन्हें बिहार जाना था.
हम सबको हमारे विदेश सचिव ने ये तो बताया था कि मोदी जी और ट्रंप के बीच 35 मिनिट तक बात हुई थी, लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया था कि ट्रंप ने मोदी जी को वाशिंगटन आने का न्यौता दिया था, जिसे मोदी जी ने ठुकरा दिया. विदेश सचिव की इस लापरवाही की वजह से माननीय मोदी जी को बिहार में खुद ये रहस्योदघाटन करना पडा.
अब दुनिया को समझ लेना चाहिए कि मोदी जी के लिए वाशिंगटन फर्स्ट नहीं नेशन फर्स्ट है. नेशन में भी बिहार फर्स्ट है, क्योंकि बिहार बुद्ध भगवान की धरती है. यहां के लोगों को आसानी से बुद्धू बनाया जा सकता है. लेकिन अब मोदी जी ऐसा नहीं होने देंगे. जो करेंगें, खुद करेंगे.दुनिया को ये भी जान लेना चाहिए कि माननीय मोदी जी की दिलचस्पी ईरान और इजराइल युद्ध में भी उतनी नहीं है जितनी कि बिहार विधानसभा कै चुनाव में है. इजराइल की इजराइल जानें और ईरान की ईरान. भारत के लिए तो दोनो पर है.
आपको बता दें कि ट्रंप साहब जी -7 गी बैठक बीच में छोडकर केलिफोर्निया की हिंसा रोकने नसी गए थे, उन्हे ईरान इजराइल युद्ध की चिंता थी. सबकी अपनी अपनी चिंताएं होती हैं. ट्रंप साहब अपने मित्र इजराइल की चिंता में घुले जा रहे हैं जबकि मोदी जी की चिंता इजराइल है. मोदी जी दूध के जले हैं इसलिए छाछ भी फूंक फूंककर पी रहे हैं. मोदी जी ने रूस और यूक्रैन युद्ध में अपने तमाम घोडे खोलकर देख चुके है. न युद्ध रुका और न किसी ने मोदीजी का अहसान माना. मजबूरी में मोदी जी को आपरेशन सिंदूर के तीसरे दिन ही युद्ध विराम करके दिखानना पडा. ताकि दुनिया के सामने नजीर बन सके. अब रूस, यूक्रेन, इजराइल और ईरान भारत से प्रेरणा ले सकें.
कायदे से मोदीजी को ये रहस्योदघाटन भी समय रहते कर देना चाहिए था कि
भारत ने सीज फायर माननीय दोस्त ट्रंप साहबके कहने से नहीं बल्कि स्व प्रेरणा से किया था. मोदी जी दो महीने से इस मुद्दे पर मौन हैं. लगता है वे ट्रंप साहब के झूठ और बेशर्मी का राजफास करने अब बंगाल जाएंगे और अंग्रेजी में वहीँ से कहेंगे कि ट्रंप साहब आप हमारी तरह सावरकर वादी नहीं बल्कि मिथ्यवादी हो. मोदी जी ही दुनिया के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो दुनिया में अमेरिका, चीन और रूस को आंखे दिठा सकते हैं लेकिन दिखाते नही हैं. आखिर बडप्पन भी तो कोई चीज होती है!
मोदी जी के रहस्योदघाटन के बाद राजनीति में रहस्यवाद के नये युग का श्रीगणेश हो रहा है. मोदी जी आने वाले दिनों में इतने रहस्योदघाटन करेंगे का कांग्रेस समेत देश, दुनिया के तमाम नेताओं के पैरों के नीचे की जमीन खिसक जाएगी. मोदीजी की विदेश नीति, कूटनीति स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी. उनकी विदेशनीति से भारत वास्तविक अर्थों में गुट निरपेक्ष हुआ है. भारत को अब कोई अपने गुट में शामिल नहीं करता. अब भारत का अपना गुट है, इसमें सात समंदर पार के मुल्क तो छोडिए सरहद से लगे छोटे बडे मुल्क तक शामिल नहीं हैं. न चीन, न पाकिस्तान, न नेपाल, न बांग्लादेश, न भूटान और न श्रीलंका. फिर भी भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. हमारे ग्वालियर से छोटे साइप्रस तक में बजा. साइप्रस ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान विश्व के सर्वोच्च नेता माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी को दिया. साइप्रस चाहता तो ट्रंप, पुतिन, शी जिनपिंग को भी ये सम्मान दे सकता था पर नहीं दिया.
@ राकेश अचल