लाल सागर के रास्ते तेजी से बढता गजवा-ए-दुनिया

दुनिया के अनेक राष्ट्रों ने आतंकवादियों आड लेकर अपने देश में अघोषित सैनिकों की एक सशक्त शाखा स्थापित कर रखी है जिसके पास आधुनिक हथियार, नवीनतम तकनीक और असीमित संसाधन हैं। वर्तमान में ईरान के माध्यम से यमन की धरती पर हूती विद्रोहियों के नाम का एक ऐसा ही संगठन विकसित राष्ट्रों तक को धमकाने में लगा है। लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाकर अपनी तानाशाही का परचम फहराने वाले इस संगठन के पास बुर्कान श्रृंखला की बैलिस्टिक मिसाइल, कुद्स-1 क्रूज मिसाइल, अल-मंदब-1 एंटी-शिप मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली सैय्यद-2सी मिसाइल, ड्रोन, विस्तारित-रेंज वाले मानव रहित यूएवी, स्कड, ओटीआर-21 तोचका मिसाइल, रॉकेट लॉन्चर, एयर डिफेंस सिस्टम, एस 358 मिसाइल, रॉकेट मिसाइल, राडर से चलने वाली मिसाइल, यूएस एमक्यू -9 रीपर ड्रोन, एयर-लॉन्च स्टैंड-ऑफ मुनिशन, बी -2 स्टील्थ बॉम्बर्स, थाक्यूब 1, थाक्यूब 2, थाक्यूब 3 सहित जमीन से हवा में, हवा से हवा में तथा हवा से जमीन में मार करने वाली बेहद खतरनाक मिसाइलों सहित एयर डिफेन्स सिस्टम आदि का भण्डार है जिसमें निरंतर इजाफा होता जा रहा है। अनेक राष्ट्र पर्दे के पीछे से इस आतंकी संगठन को हथियार, तकनीक और साधन मुहैया करा रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पाकिस्तान से ईरान को मिलने वाली परमाणु हथियारों की तकनीक, सहयोग और पदार्थों से निर्मित होने वाले अनेक अतिघातक शस्त्र भी हूती के पास पहुंच गये हैं जिनका उपयोग इजरायल एवं उसके सहयोगी देशों पर किया जा रहा है। इस आतंकवादी संगठन का प्रमुख अब्दुल मलिक अल-हूती तो खुलेआम आतंक के नाम पर दुनिया को धमकाने में लगा है। वर्तमान में लाल सागर से होकर गुजरने वाले जहाजों को अपने ट्रैकिंग सिस्टम पर स्वयं को मुसलमान होने तथा इजरायल से कोई संबंध न होने का संदेश प्रसारित करना पड रहा है। सूत्रों की मानें तो इस्लाम का आतंक चरम सीमा पर पहुंचाने की गरज से हूती सहित अन्य इस्लामिक आतंकी संगठनों ने एक साथ मिलकर गजवा-ए-दुनिया के ख्वाब को पूरा करने के लिए कमर कस ली है। आश्चर्य होता है कि अमेरिका की चौधराहट भी इस्लामिक आंतकवाद के सामने आत्मसमर्पण की मुद्रा में आ जाती है। परमाणु क्षमता की दम पर आतंकियों को संरक्षण देने वाला पाकिस्तान आज अमेरिका का सबसे चहेता बना हुआ है। विश्वबैंक से कर्जा दिलवाने से लेकर उसे राजनैतिक संरक्षण देने तक में ट्रंप कार्ड की भागीदारी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। गाजा के हालातों पर मानवीय संवेदनाओं की आड लेकर हमास का कवच बनने वाले राष्ट्रों को वहां के निवासियों का आतंकी प्रेम जानबूझकर नहीं दिख रहा है। वहां के निवासियों के सामने उनके बीबी-बच्चों की मौत हो रही है परन्तु वे अपनी कट्टरपंथी मानसिकता का प्रमाण देते हुए हमास को बेनकाब नहीं होने दे रहे हैं। आतंकियों को अपने आंचल में छुपाये बैठे हैं। जब अपहरित इजरायलियों को तडफा तडफा कर मौत दी जा रही थी तब वहां के निवासी जश्न मनाते रहे। मानवता को कफन में लपेटा जाता रहा और वे ठहाके लगाते रहे। किन्तु जब कट्टरवादियों के जिस्मों पर कफन लपेटा जाने लगा तब उन्होंने हमास को सुरक्षित रखने के साथ-साथ अपने लिए मानवता का नारा बुलन्द किया। जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के लोग हमास के साथ मिलकर आंतक फैलाने में सहयोग कर रहे थे तब मानवता की परिभाषा को अर्थहीन बना दिया गया था। कट्टरता परोसने वाली जमातें अब पैसों की दम पर हथियार, हथियारों की दम पर आतंक और आतंक की दम पर सल्तनत हासिल करने में लगीं हैं। लाल सागर होकर गुजरने वाले लगभग सभी देशों के जहाजों ने हूती के आतंक को सलाम करने के लिए खुद को मुसलमान और सुरक्षा के लिए इजरायल से संबंध न होने की घोषणायें करना शुरू कर दीं है। वह दिन दूर नहीं जब हथियारों के सामने गैर मुसलमानों को कलमा पढने के लिए मजबूर किया जायेगा, जबरन निकाह के कबूलनामे पर दस्तख़त करवाये जायेंगे और कराया जायेगा आंतक के साये तले इस्लाम का नारा बुलंद। पाकिस्तान से आने वाले वहां के अघोषित सैन्य अधिकारियों ने जिस तरह से पहलगाम में धर्म पूछकर हत्यायें की थी उसी तरह से लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों को भी हूतियों की जमातों के सामने इजरायल विरोधी और मुसलमान होने के प्रमाण देने होंगे। ऐसा न कर पाने की  स्थिति में उन्हें तडफ-तडफ कर मरने के लिए तैयार रहना होगा। यह सब अल्लाह को नहीं मुल्ला को मंजूर है। ऐसे मुल्लाओं की तादात में दिन-ब-दिन इजाफा होता जा रहा है। दुनिया के कोने-कोने से गैर मुसलमानों पर हो रहे जुल्मों की दस्तानें सुनाई दे रहीं हैं। वहां की सरकारें कानों में तेल डाले बैठीं हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन मौन हैं। आतंकियों के जुल्मों को मुस्लिम सम्प्रदाय खुलकर समर्थन दे रहा है। न्याय, मानवता और संवेदनाओं को हलाल कर चुके लोगों के सामने बहता खून, गूंजती चीखें और तडफते जिस्म ही उनका जश्न-ए-मुबारक बन चुका है। हजारों की संख्या में इस्लामिक आतंकी संगठनों ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। सशक्त राष्ट्र भी निजी स्वार्थों के लिए आस्तीन में सांप पालने की होड में शामिल हैं। ऐसे में हूती के फरमान पर सिर झुकारने वाले जहाजों ने आतंकियों के हौसलों को बुलंद करना शुरू कर दिया है। लाल सागर के रास्ते तेजी से बढता गजवा-ए-दुनिया का मंसूबा पूरा करने के लिए संसार भर के इस्लामिक आतंकी एक जुट होने लगे हैं जिन्हें नस्तनाबूद करने के लिए मानवतावादी राष्ट्रों को निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर संगठित होना होगा तभी इस मानवता विरोधी आतंक से निजात मिल सकेगी। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।