घाना से मप्र का सीधा रिश्ता

अफ्रीकी देश घाना से देश के रिश्ते तो पुराने हैं ही लेकिन मप्र से भी घाना का एक खास रिश्ता है जो कम लोग ही जानते हैं.
इंदौर के चौइथराम अस्पताल के संस्थापक श्री चौइथराम पगरानी सिंध से 1914में घाना आए थे. उन्होने ही 1979  में चौइथराम अस्पताल बनवाया था. लाला चौइथराम तो रहे नहीं लेकिन उनके 4 बेटे हैं. दो भारतीय पत्नी से और दो घाना की पत्नी से. ये सब हर साल इंदौर आकर अस्पताल का निरीक्षण करते हैं और सुविधाओं का विस्तार करते है. इस अस्पताल में गरीब सिधी मरीजों का निशुल्क इलाज होता है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाना के राष्ट्रपति को बताया कि दिल्ली में भी घाना के गांधी नक्रूमा के नाम से एक सडक है. नक्रूमा समाजवादी थे, उन्होने पैन अफ्रीकन कांग्रेस पार्टी बनाई थी. इसी पार्टी के नेतृत्व में घाना का स्वतंत्रता आंदोलन लडा गया. आज घाना में नक्रूमा के दर्शन का झंडा प्रोफेसर रावर्टसुबुक्वे बुलंद किए हैं
पृष्ठभूमि
श्री पगारानी का जन्म 1914 में भारत में हुआ था । वे एक कट्टर हिंदू थे । 1928 में उन्होंने अपनी पहली पत्नी लालीबाई ठाकुरदास पगारानी से विवाह किया, जिनसे उनकी छह बेटियाँ थीं। लगभग 1937 में श्री पगारानी ने भारत छोड़ दिया और अंततः सिएरा लियोन में एक सुपरमार्केट व्यवसाय स्थापित किया , लालीबाई और उनके बच्चे भारत में ही रहे। सिएरा लियोन में उनकी मुलाकात वर्जीनिया हार्डिंग से हुई और 1944 में उन्होंने उनसे विवाह कर लिया। उनके आठ बच्चे थे, जिनमें तीन बेटे शामिल थे। [ 6 ] श्री पगारानी 1980 के दशक तक सिएरा लियोन में रहे, लेकिन अपने भारतीय परिवार और सिएरा लियोन परिवार के उन सदस्यों से मिलने के लिए भारत आते रहते थे, जिन्हें वे भारतीय तौर-तरीकों और रीति-रिवाजों के अनुसार पालन-पोषण के लिए भारत ले गए थे। श्री पगारानी द्वारा चलाए गए व्यवसाय असाधारण रूप से सफल रहे और दुनिया भर में व्यापक रूप से फैल गए। उन्हें आमतौर पर "टी. चोइथराम एंड संस" नाम दिया गया था और अक्सर उन्हें "चोइथराम" के नाम से जाना जाता था। 1989 में श्री पगारानी ने अपने अधिकांश कारोबार को पहली बार विभिन्न ऑफशोर कंपनियों (टी चोइथराम इंटरनेशनल एसए सहित) के अंतर्गत लाया , जो वास्तव में होल्डिंग कंपनियाँ थीं। वे उन कंपनियों के शेयरों के अकेले मालिक नहीं थे, लेकिन उनके पास बहुलांश हिस्सेदारी थी।अपने पूरे जीवन में श्री पगारानी ने दान दिया , जिसकी राशि दस लाख अमेरिकी डॉलर से भी ज़्यादा थी।