दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश ओबीसी आरक्षण के मामले में सुनवाई टल गई।अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 12 अगस्त नियत की है।सुप्रीम कोर्ट ने हुई सुनवाई में सरकार ने छ साल बाद यू टर्न लेते हुए ओबीसी छात्रों की तरफ से दायर याचिका का समर्थन किया।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई में ओबीसी छात्रों की तरफ से 27 प्रतिशत बढ़े हुए आरक्षण को लागू करने के लिए दायर याचिका में सीनियर एडवोकेट अनूप जॉर्ज चौधरी, एडवोकेट वरुण ठाकुर, और ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य एवं एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाहा , एडवोकेट रामकरण प्रजापति ने पक्ष रखते हुए कहा कि जिस प्रकार छत्तीसगढ़ में बढ़े हुए आरक्षण को लागू किया गया है ठीक उसी तरफ का मध्य प्रदेश का मामला भी है।जिसमें कई सालों से चयनित अभ्यर्थियों का रिजल्ट होल्ड किया गया है। बता दे कि कांग्रेस सरकार ने ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 14 से 27 प्रतिशत बढ़ा दी थी। जिसको बीजेपी की नई सरकार ने एक नोटिफिकेशन के जरिए 2022 में एडवोकेट जनरल के सुझाव के आधार पर रोक दिया था।जिस कारण मध्य प्रदेश में लाखों चयनित अभ्यर्थियों का रिजल्ट होल्ड हो रखा है। और कोई भी सरकारी भर्ती पूरी नहीं हो रही है, प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की नई नियुक्ति न हो पाने की वजह से सरकारी कार्यों में बाधा आ रही है। सोमवार को हुई सुनवाई में प्रदेश सरकार ने फिर एक बार समय मांगा हैmजिस पर उच्चतम न्यायालय ने अगली सुनवाई 12 अगस्त के लिए टॉप ऑफ द बोर्ड मामले को सुनने के लिए रखा है।
एडवोकेट और ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा ने सरकार पर आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सरकार में लाखों रिक्तियां हैं इसके बावजूद सरकार सालों से कोर्ट का बहाना बनाकर न तो 27 प्रतिशत आरक्षण दे रही थी न ही नई भर्तियां कर रही थी। परन्तु आज की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लताड़ते हुए कहा है कि जब कानून में किसी भी प्रकार की रोक नहीं है तो आप 27 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं दे रहे हैं।
भवदीय
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